लघुकथा – वापसी
अजय बाबू सिग्नल की बत्ती के हरी होने का इंतजार कर रहे थे। गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा उनके
Read Moreअजय बाबू सिग्नल की बत्ती के हरी होने का इंतजार कर रहे थे। गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा उनके
Read Moreपाती तुम्हारे प्यार की दिल में संजोए रखी है; ऋतुराज- सा चिरहरित तुम्हारा निर्मल प्यार तुम्हारे मीठे बोल तुम्हारी आँखें
Read Moreसास के कहने पर बहू कन्या पूजन के लिए मंदिर पहुँची और एक प्यारी-सी आठ साल की बच्ची को दंडवत
Read More“रंडी, साली को जवान बेटे की भी चिंता नहीं।” सत्तर साल के बूढ़े की जुबान कैंची समान चल रही थी।
Read Moreकवि सम्मेलन में दर्जनों कवि कवयित्री उपस्थित थे। उनमें से कई नामचीन साहित्यकार भी थे। मंच पर जब एक एक
Read More“आपके परिवार में पाँच वोटर हैं। ये रहे पंद्रह सौ रुपये। मुखिया जी को ही वोट देना है। दूसरी बार
Read Moreबूढ़ी हो चली काया झुर्रियाँ हैं इसकी गवाह, बूढ़ा बरगद -सा बाप है फिर भी खड़ा निज अनुभव से संतान
Read More“तुम्हारी मम्मी छठ की पूजा नहीं करती! क्यों ?” प्रशांत ने कहा। “नहीं। मेरे मुहल्ले में कोई भी परिवार छठ
Read More“इस साल भी दिवाली की खुशी नसीब नहीं है! लोगों की आस्था कम हो गई है अपने धर्म पर, सिर्फ
Read Moreआज सुभाष बाबू के पोते का अन्नप्राशन है। इसलिए “गुप्ता -परिवार” में काफी चहल -पहल है, परंतु सुभाष बाबू की
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