लघुकथा – ठेकुआ
“तुम्हारी मम्मी छठ की पूजा नहीं करती! क्यों ?” प्रशांत ने कहा। “नहीं। मेरे मुहल्ले में कोई भी परिवार छठ
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Read More“इस साल भी दिवाली की खुशी नसीब नहीं है! लोगों की आस्था कम हो गई है अपने धर्म पर, सिर्फ
Read Moreआज सुभाष बाबू के पोते का अन्नप्राशन है। इसलिए “गुप्ता -परिवार” में काफी चहल -पहल है, परंतु सुभाष बाबू की
Read Moreअगहन पूस महीने में मदन हलवाई नया गुड़ और नए चावल की खुशबूदार मिठाई बनाता और मुहल्ले- मुहल्ले घूम -घूम
Read More“देखिए मास्टर साहब को, दस साल से नौकरी कर रहे हैं; अभी तक एक मोटर साइकिल नहीं खरीद पाए है”
Read More“फिर बारिश होने लगी मम्मी, तुम भींग जायेगी। चलो, कुछ देर सामने के मकान के बरामदे में रुक जाते हैं।”
Read Moreरामनवमी के अवसर पर बिंदुधाम मंदिर में भक्तों और दर्शकों की काफी भीड़ थी।बिहार, बंगाल और अन्य राज्यों से हजारों
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