परीक्षा पर चर्चा
कहते है कि जब मन में किसी बात को लेकर दुःख, तनाव आदि आता है तो हमारे धैर्य की परीक्षा
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Read Moreजानने और मानने में जैसे अंतर है,वैसे ही हम कैसे हैं और कैसे दिखाने की कोशिश करते हैं,में अंतर है,लेकिन
Read Moreसमय के अनुसार उपयोगिता के अनुरूप हर वस्तु का उपयोग अवश्यंभावी हो जाता है लेकिन अति हर चीज की बुरी
Read Moreशब्दों की शक्ति इतनी अधिक होती है कि उसकी सीमा का हम सही से आँकलन भी नहीं कर सकते है
Read Moreआज के समय में कहते है कि पैसा है तो आनन्द ही आनन्द है । धन दौलत और वैभव से
Read Moreकिसी तीर्थ के पहाड़ पर चढ़ना हो या पर्वतारोहण करना हो तो झुक कर व लाठी के सहारे से चढ़ने
Read Moreमानव गलत करेगा तो उसको भय होगा ही होगा । आज के दौर में दूसरों की सराहना प्रशंसा करने का
Read Moreमानव का सबसे बड़ा शत्रु कौन ? इसका मेरे चिन्तन से उतर होगा की मैं मानव का सबसे बड़ा शत्रु
Read Moreपानी हमारे जीवन का प्राण तत्व है और हमारे जीवन का मूल सत्व है पर अफसोस हम प्राणी पानी की
Read More> वीतराग भगवान के द्वारा प्रदत धर्म को मानने वाला जैनी होता है।> इच्छा का परिमाण, भोग संग्रह का सीमाकरण
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