आत्म शुद्धि साधन धर्म हैं अर्थात जिस भी साधन से आत्मा की शुद्धि होती है वह धर्म हैं । मंदिर, मस्जिद व उपाश्रय में जाना ही नहीं होती है किसी धार्मिक की पहचान ।इसलिए जरूरी है हम सदाकरते रहें नैतिक आचरण व सदभावना का व्यहारिक अनुष्ठान ।बिना धर्म को जीए धर्म का रूप रहता है […]
Author: प्रदीप छाजेड़
मानव की मूल प्रकृति तो है सरल स्वाभाव
हमें मानव भव मिला है उसकी मूल कारण मेरे चिन्तन से प्रकृति तो है सरल स्वभाव वाली । 9 दुर्गम तिर्यंच घाटियां पार करके मुश्किल से हम भव भवान्तर मे भटकते हुए दुर्लभ मनुष्य शरीर जो मिला है और आज तक कितनी ही बार मिला भी हो सकता है । हम अभी तक नहीं सम्भले,भटक […]
सुखांत-दुखांत
असंतोष की वृत्ति का अंत है दुखांत । वहीं इसके विपरीत हमारे जीवन में संतोषपूर्वक स्वीकारोक्ति सदा ही लाती है सुखांत। यह बात लिखने में जितनी सरल है उतनी ही हमारे जीवन के आचरणों में आने में कठिन है । सही से अगर इसको समझ लिया जाये तो यह असम्भव भी नहीं है । जीवन […]
बालिकाओं में शिक्षा के बाद परिवर्तन व नारी का स्थान
आज के समय में शिक्षा का खूब-खूब विस्तार हुआ है। इसके विस्तार के परिणामस्वरूप बालिकाओं में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। बालिकायें शिक्षा प्राप्त करने के बाद घर, समाज आदि की उन्नति में तो अपना अमूल्य योगदान दे ही रही हैं, साथ में राष्ट्र के विकास में भी अपना शीर्ष पद पर सेवायें देकर देश के […]