दोहे – जीवन रंगों से बना
फगुवारों के दल सजे, नेह लुटाती फाग। चौपालें खुश हो झूमतीं, नाचें कोयल काग।। जन-जन का मन मोहते, होली के
Read Moreफगुवारों के दल सजे, नेह लुटाती फाग। चौपालें खुश हो झूमतीं, नाचें कोयल काग।। जन-जन का मन मोहते, होली के
Read Moreकविता स्वप्न सँवारती, भाव भरे उर इत्र। जीवन पुस्तक में गढ़े, रुचिर सफलता चित्र।। कविता गंध बिखेरती, कविता है जलजात।
Read Moreशब्द सँवारे हृदय को, हरें सकल दुख पीर। मीत बनें ज्यों कष्ट में, शुष्क धरा को नीर। सघन प्रेम से
Read Moreमानव मन में प्रीति की, बहे सदा रसधार। अँजुरी भर-भर पीजिए, अमिय नेह हर बार।। जब समरसता की बहे, सुरभित
Read Moreजंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत। पोषण-सुख देते
Read Moreप्रकृति सृष्टि रचना का आधार है। प्रकृति आनंद का उत्स है। प्रकृति दिव्यतम है, अन्यतम है। वह प्रीतिकर स्नेह रसागार
Read Moreकविता की मधुरिम भाषा हो तुम। प्रेमिल हृदयों की आशा हो तुम। सौंदर्य शास्त्र का आधार सुखद, सुंदरता की परिभाषा
Read Moreबहुत हुआ आराम काम अब करना होगा। सत्पथ पर चंचल चपल चरण धरना होगा।। रहे न कोई भूखा प्यासा छाया
Read More30 अक्टूबर, 1928। लाहौर रेलवे स्टेशन पर हजारों की संख्या में अहिंसक देशभक्तों का जमावड़ा। हाथों में लहराते काले झंडे,
Read Moreआज ‘बालदेवो भव’ के उपासक और शिक्षक समुदाय एवं समाज के समक्ष विद्यालयों को आनंदघर बनाने का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत
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