जीवन उपवन सा खिले
जंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत। पोषण-सुख देते
Read Moreजंगल करते हैं सदा, मानव पर उपकार। औषधियां-फल भेंटकर, दें जीवन संसार।। तरुवर माता-पिता सम, तरुवर मानव मीत। पोषण-सुख देते
Read Moreप्रकृति सृष्टि रचना का आधार है। प्रकृति आनंद का उत्स है। प्रकृति दिव्यतम है, अन्यतम है। वह प्रीतिकर स्नेह रसागार
Read Moreकविता की मधुरिम भाषा हो तुम। प्रेमिल हृदयों की आशा हो तुम। सौंदर्य शास्त्र का आधार सुखद, सुंदरता की परिभाषा
Read Moreबहुत हुआ आराम काम अब करना होगा। सत्पथ पर चंचल चपल चरण धरना होगा।। रहे न कोई भूखा प्यासा छाया
Read More30 अक्टूबर, 1928। लाहौर रेलवे स्टेशन पर हजारों की संख्या में अहिंसक देशभक्तों का जमावड़ा। हाथों में लहराते काले झंडे,
Read Moreआज ‘बालदेवो भव’ के उपासक और शिक्षक समुदाय एवं समाज के समक्ष विद्यालयों को आनंदघर बनाने का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत
Read Moreअतर्रा (बांदा)। जनपद निवासी शिक्षक एवं साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय के संपादन में शैक्षिक संवाद मंच की प्रकाशन योजना अंतर्गत
Read Moreभारत माता के वंदन में उपवन महक रहे। कलरव करतीं सरिताएँ, नभ पंछी चहक रहे।। सूरज ने माथे मल दी
Read Moreइसी जुलाई में काव्यांश प्रकाशन से मितेश्वर आनंद की एक कथा कृति आई है ‘हैंडल पैंडल’ जिसे पाठकों ने हाथोंहाथ
Read Moreदेहरादून रहवासी कथाकार जितेन्द्र शर्मा पिछले पांच दशकों से अनवरत कहानियां रच-बुन रहे हैं। उनके चार कहानी संग्रह ‘विरुद्ध’, ‘किधर’,
Read More