आत्मग्लानि
अरे! तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई घर के अंदर आने की ? पता नहीं कहाँ–कहाँ से लोग आ जाते
Read Moreअरे! तुम लोगों की हिम्मत कैसे हुई घर के अंदर आने की ? पता नहीं कहाँ–कहाँ से लोग आ जाते
Read More“ओह गॉड ! तो तुम घर पर ही हो। मैंने तुम्हें कहाँ–कहाँ नहीं ढूँढा; और
Read More” शीला मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र हो रही है,और होगी भी क्यों नहीं; उन्तीस बरस
Read Moreठंडी–ठंडी सी पुरवाई, दस्तक दे चहुंँओर। श्वेत वस्त्र धारण की धरती, हुई सुहानी भोर।। दृश्य देख धुंँधला–धुंँधला सा,खींचे लंबी श्वास।
Read Moreनारी की महत्ता व अस्तित्व को अवगत कराता पर्व : एकादशी देवउठनी// हमारे छत्तीसगढ़ में तीज-त्यौहारों का बहुत महत्व है।
Read Moreपींयर –पींयर धनहा बाली। बिहना पड़थे सूरज लाली।। घाम अगासा के वो सहिथे। धान सोन कस चमकत रहिथे।। चिरई–चिरगुन गाना
Read Moreनवरात्री लगते ही भक्तगण माँ अम्बे, भवानी , दुर्गा जैसे विभिन्न रूपों की प्रतिमा का
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