भर्ती में समानता की वापसी: सामाजिक-आर्थिक बोनस अंकों पर हाईकोर्ट की सख्ती
भारतीय लोकतंत्र का मूल मंत्र है – समान अवसर। लेकिन जब अवसरों की तुलना में विशेष सुविधाएं या बोनस अंक
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Read Moreऐसे दौर में हैं, जहांमुस्कानें भी मुखौटे हो गईं,चुप्पियाँ भी साजिशें बुनने लगीं,जहां दोस्ती का रंग अब,पल भर में ज़हर
Read Moreरिश्ते – वो मौन स्पंदन,जो न फासलों से बंधते हैं,न ही समय की सीमाओं से,ये तो दिल की उस गहराई
Read Moreबाहर से हमला हो तो खून खौले,यहाँ तो घर के भीतर चाकू चले।सैनिक सरहद पे जान दे आया,पीछे से कोई
Read Moreटेक्नोलॉजी का यह दौर,जहाँ रिश्ते सिमटते जा रहे हैं,जहाँ उंगलियों की सरसराहट मेंममता की गर्माहट खो रही है,जहाँ नज़रों की
Read Moreमैंने देखा है,उन पत्तों को,जो आंधी में कांपते हैं,जिनकी जड़ें मिट्टी में हैं,पर मन खुली हवा का सपना देखता है।
Read Moreदेश को बाहर से नहीं, भीतर से खतरा है। जब कोई सुरक्षा गार्ड, छात्र या यूट्यूबर चंद रुपयों या झूठे
Read Moreजब हर दर्द से टकराकर,मन की दीवारें दरकने लगें,और उम्मीदों की चादर,चुपचाप सरकने लगे। जब हँसी की परतें,ग़म के नीचे
Read More500 की शर्ट में, संजीदा मुस्कान,5000 की साड़ी से बुनता सम्मान।हाथों में उसके, बिन शब्दों की बातें,हर तह में छुपा,
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