समाज का सच्चा लाल
भाईचारा के चक्कर मेंफेंके चारा चर रहे हैं,दरी बिछा और पोस्टर चिपकासमाज सेवा कर रहे हैं,अपना खुद का गान नहीं
Read Moreभाईचारा के चक्कर मेंफेंके चारा चर रहे हैं,दरी बिछा और पोस्टर चिपकासमाज सेवा कर रहे हैं,अपना खुद का गान नहीं
Read Moreउन्होंने अनुमति विहीन सभा बुलाया,जोरदार मजहबी नारा लगाया,नारे के द्वारा और मजहबियों को हड़काया,और कुटिलतापूर्ण गर्व से बताया,अब इस जगह
Read Moreसब लड़ रहे हैं,आगे बढ़ रहे हैं,लड़ रहा है भाई भाई,बहू संग सासू माई,एक नहीं हो रहे,नेक नहीं हो रहे,मतैक्य
Read Moreलाख विरोध कर लो,लाखों बार जलकर राख हो जाओगे,मगर सत्य तो सत्य रहेगा,जिसे हर सद मनुष्य सच कहेगा,तुम लोगों ने
Read Moreवक्त, काल, परिस्थिति औरसंगति का असर होता है बच्चों में,आसपास के देखे नजारों का असरभरता है मन के कच्चों में,सद
Read Moreमनुष्य में मनुष्य नहीं दिख पातापर तुरंत ही जाति दिख जाती है,कुछ लोगों को उनके संस्कारशायद यहीं सिखाती है,जाति के
Read Moreनहीं कर सकता मजबूर किसी कोमिशन की राह पर जाने को,सुप्तावस्था में सोये समाज जगाने को,इस राह में जागे जमीर
Read Moreपुरानी बातें भूलने को कहते हो,अपने दिखाये झूले में झूलने को कहते हो,खुद भूल नहीं पा रहे हो,हमें सपने दिखा
Read Moreवो चिल्ला चिल्ला बताने लगा,लिखे हैं बहुत किताबें सुनाने लगा,अपने ही मुख खुद का करने लगा गुणगान,चमत्कारियों की करतूतों काहर
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