बंजर सोच
जिंदगी जीने के लिए जरूरी हैएक सकारात्मक सोच,जो काम करता है सततआगे बढ़ने बढ़ाने के लिए रोज,सोच दो तरह के
Read Moreहम राजनीतिज्ञ हैं भाईतरह तरह के स्वांग रचाते हैं,जैसे ही चुनाव आयालोगों का ध्यान भटकाते हैं,जुमलों के इस दौर में
Read Moreसामाजिक रीत है एकजुट रहने का,अपनों के साथ अपनी बात कहने का,पर सामाजिक रीत की डोरइस कदर न बंधे हो
Read Moreछुपा नहीं पा रहे हो,गाहे बगाहे अपनी धृष्टता दिखा रहे हो,आज के इस सभ्य कहे जाने वाले युग में,हांक रहे
Read Moreहो रहा कैसे कैसे आज बवाल,समझ नहीं आता देखकर भीबना हुआ कौन किसका ढाल,अपनी समझ के प्रति रहेंगे लोगकब तक
Read Moreमुर्दे भी कभी जागते हैं,जागते ही अपने लक्ष्य की ओरसतत सरपट भागते हैं,सोचा है कभी मुर्दे जगे कैसे,जिंदों ने उन्हें
Read Moreबूढ़ा बोला पोते से जरा मेरे पास आओ,क्या हो रहा है जग में मुझे भी सुनाओ,बोला मगरू लड़ रहा था
Read Moreहम कभी दबकर रहे नहीं,बेशक हमें दमित दिखाया गया,इतिहास के झूठे पन्नों मेंहमें ही भीरु बताया गया,कुछ चालाक प्राणियों के
Read Moreदिन भर की भगदौड़ औररात की नींद के बादजैसे ही मुझे मिला मौका,तीन दिनों के खर्चे देख चौका,बीबी बच्चों ने
Read Moreतुम्हारा ये डर जाने का कारोबार,लगा जबरदस्त,धमाकेदार,वाकई में डरते बहुत हो,पल पल मरते बहुत हो,हथियारों से लैस तुम्हारे इतने रहबर,क्या
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