स्मृति के पंख – 5
बैसाखी का दिन था, मरदान के पास डेरा बाबा कर्मसिंह पर मेला लगता था। भ्राताजी और कुछ साथी मेला देखने
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Read Moreएक दिन पड़ोस में गन्दम (गेहूँ की एक किस्म) पिसवाने के लिए चक्की पर देने के लिए गया। हम 10-12
Read Moreयात्रा बहुत अच्छी रही। अब हम घर वापिस पहुँच गए। कुछ दिन दुकान को बनाने संवारने में लगे। फिर से
Read Moreपूजनीय पिताजी का नियम था सुबह तीन बजे उठना, नजदीक ही गाँव में नदी थी, वहाँ स्नान करने जाना, वहाँ
Read Moreमाँ सरस्वती देवी को बारम्बार प्रणाम करता हूँ। माँ ! मुझे बुद्धि और शक्ति दे ताकि मैं अपनी जीवन गाथा
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