आल्ह छ्न्द
आल्ह छ्न्द===== १६+१५=३१ चरणांत गाल -२१ ================================ फागुन पिया गये परदेश, —-भेजे कोई ना संदेश / जियरा मोर झूमि के
Read Moreआल्ह छ्न्द===== १६+१५=३१ चरणांत गाल -२१ ================================ फागुन पिया गये परदेश, —-भेजे कोई ना संदेश / जियरा मोर झूमि के
Read Moreहाकलि मुक्तक छ्न्द [४+४+४+२] फागुन माया छाया है रंगों ने भर माया है घर अरु आँगन गाता क्यों होली कंचन
Read Moreफागुन मे बरसत रंग -पीकर भंग हुए मातंग / भूल गये दिन रात ———कहें हम सुप्रभात/ कहें हम सुप्रभात ————
Read Moreमानव मन विकृत स्वरूप अहम क्षीण मानसिकता सोचने का नज़रिया खुद की तारीफ़ पसन्द मानसिक ईर्ष्या का ज्वर अनिर्णायक क्षमता
Read Moreजिंदगी की चाह हो तो प्रेम करना सीख लो बंदगी रब की करो जी प्रेम करना सीख लो सादगी
Read Moreसंतुलन======== मापनी —२१२ २ २१२२ २१२२ २१२ जिंदगी का संतुलन बे -जान पत्थर कह रहे / पाट मत सागर भवन
Read Moreनमामि वंदना गुरु— ============================ पंच चामर छ्न्द ========================== मापनी =१२ १२ १२ १२ – १२ १२ १२ १२ ================================ नमामि
Read Moreराष्ट्र प्रेम जिनमें नहीं जाएँ पाकिस्तान भारत के काबिल नहीं बिगड़े हैं शैतान करे खिलाफत मातृभूमि की कैसी ओछी सोच
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