मैं भारत का संविधान हूं
शरशय्या पर लेट चुका हूं अब तक सब कुछ देख चुका हूं जितने यहां पे काम हुये हैं, सब में
Read Moreशरशय्या पर लेट चुका हूं अब तक सब कुछ देख चुका हूं जितने यहां पे काम हुये हैं, सब में
Read Moreहम जिस तरह से आये थे उसी तरह से जायेंगे! जी हां हमारी उत्तपत्ति जैसे हुयी थी विनाश भी वैसे
Read Moreएक दिन श्रीलंका को पीछे छोंड़ देंगे बात उन दिनों की है जब भारत के हर एक गांव में खलिहान
Read Moreअनगिनत यहाँ रातें आयीं सूरज ने दमकना छोड़ा क्या न जाने कितने भोर हुए, चंदा ने चमकना छोड़ा क्या कितने
Read Moreहे! प्रिये मैं क्या करूँ, बेवजह तू पड़ गयी, बेकार के झमेलों में देखो अब तुम फंस गई, दूषित मन
Read Moreन कोई प्रलय आयेगी! न कोई सुनामी आयेगी! किन्तु एक दिन ओ जरूर आयेगा जिस दिन मनुष्य अपने ही विछाये
Read Moreजब तक तकरार दिलों में है तब तक श्रृंगार लिखूं कैसे जब तक क्रंदन चहुँ ओर दिखे तब तक मल्हार
Read Moreहाथ न बदले पांव न बदले सूरत वही पुरानी है हर इंसा के अंदर मिलती बदली हुई कहानी है अब
Read Moreबार बार नैन से कटार मार मार के तेज धार कजरे की रोज वो करते हैं! तान तान अपनी कमान
Read Moreशाम को यूँ लगा सामत आ गयी देखते देखते बदली सी छा गयी चमकी विजलियां गर्जना खूब हुई सोंच शैलाब
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