लिखती हूँ कलम से
स्याही आंसूओं की होती है आज तेरे हर ज़ुल्म पर मेरी आंख रोती है कभी सोचा न था हमसफर
Read Moreस्याही आंसूओं की होती है आज तेरे हर ज़ुल्म पर मेरी आंख रोती है कभी सोचा न था हमसफर
Read Moreइक समय ऐसा भी था जब हम दूर थे एक दूसरे से एक दूसरे को रंग न लगा पाने पर
Read Moreदेश हुआ था जब आजाद पर नियम थे विदेशियों के ही बने नियम तब जा कर हुआ छुटकारा विदेशियों
Read Moreजब भी एकांत होता है, तो हम अकेलेपन को एकांत समझ लेते हैं। और तब हम तत्काल अपने अकेलेपन को
Read Moreप्राग राज के निवास समय श्री गोबिंद राय जी के जन्म से पहले एक दिन माता नानकी जी ने स्वाभाविक
Read Moreबाल श्रम की समस्या को जड़ से मिटाना है, तो बाल श्रम कानूनों का ठीक ढंग से क्रियांवित करना ही
Read Moreरात को पढते-पढते कब आँख लग गयी पता ही नहीं चला, लेकिन नींद में भी वही कशमकश चलती रही, कि
Read Moreलाली इस नाम को सुनते ही होंठो पर बरबस मुस्कुराहट आ जाती है । लाली हमारी गली का कूड़ा उठाने
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