दिया जलाना है
जनमानस क पर्व है आया, सबको दीप जलाना है। दिया जलाकर हर जगहों पर,जोति यहाँ फैलाना है। द्वेष कलह को
Read Moreजनमानस क पर्व है आया, सबको दीप जलाना है। दिया जलाकर हर जगहों पर,जोति यहाँ फैलाना है। द्वेष कलह को
Read Moreवर्षा की बूँद बृहद स्वरूप में बहते हुए पत्थरों पर वनों से छनकर है एकत्रित। जलाशय में है जल का
Read Moreआज मैं कोई ऐसी कविता नहीं सुनाने आया हूँ, नहीं मैं साहित्य का कोई पाठ पढाने आया हूँ। बदहाल शिक्षा
Read Moreस्वप्न क्यूँ आज झरे अपने क्यूँ आज छुटे हम पड़े टूटे-टूटे लोग क्यूँ छूटे-छूटे भातृप्रेम छुट गया आज क्यूँ रूठे-रूठे
Read Moreआस लगाये बैठे हैं एक दिन जरूर आएगी। प्यार की इस कड़ी को कैसे तोड़ जाएगी। मुझे पता था गुलाब
Read Moreयह कैसा परिवर्तन है दृष्टि दया की भीख नहीं है गरीब दुखियों की चीख़ भरी है एक तरफ है भरा
Read Moreबदलती गई दुनिया बदलते गये लोग। हर समय पर ख्वाब रचते गये लोग। पहन कर लोग यहां स्वार्थ की खोलड़ी।
Read Moreतुम कहाँ खो गई हो। तुम क्या कर रही हो। मुझसे नजरें तो मिला लें, बहुत याद आ रही हो॥१॥
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