विचारों के चौराहे पर
चलता रहेगा यह द्वंव्द इस दुनिया में कब तक ? कहीं भूख है तो कहीं अपच व अजीर्ण कहीं मान
Read Moreचलता रहेगा यह द्वंव्द इस दुनिया में कब तक ? कहीं भूख है तो कहीं अपच व अजीर्ण कहीं मान
Read Moreबहता पानी क्या कहता है? अणु – अणु में फैली वायु हमें क्या सिखाती है? विशाल जग में व्याप्त धरती
Read Moreकई चित्र मानस पटल पर गतिमान होती हैं निरंतर जाल है वह रंग – बिरंगे का उत्सुक, उद्वेलित करती हैं
Read Moreआज का यथार्थ कल के लिए कल्पना है कल की कल्पना यथार्थ का रूप हो सकता है जो आंखों के
Read Moreसत्य नहीं है जाति शाश्वत रूप नहीं है धर्म का समाज इनसे नहीं मनुष्य से बनता है चलता है समाज
Read Moreदेखता हूँ…अपने आप में .. मेरे अंतरंग में भेद – अभेद मंगलकारी चेतना क्रांति का सौध शांति की सुषमा हर
Read Moreगलत है, अनदेखा चलना बड़े-बूढों को, उनके कदमों को, दिल से सच्चे होते हैं वे अपने को एक जीव मानते
Read Moreसबकी जीवन गति एक जैसी नहीं होती गुज़रती है जिंदगी अपने – अपने विचार और अनुभवों के सहारे, अतीत का
Read Moreडरता हूँ मैंतुम से, तुम्हारी चेष्टाओं सेतुम भी डरते हो मुझ सेमेरी चेष्टाओं सेजग का सत्य हैएक दूसरे से डरनासत्य
Read Moreयह क्यों मेरे अंदर !आग है,जलाती है मुझे नित्यजहाँ विषमता है वहाँ तुरंतफूट निकल आती हैमेरे मुँह से विरोधी आवाज़बदले
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