चलो… दुनिया को देखें
कठिन होता है चलना जहाँ रास्ता ठीक नहीं है, पत्थर-कंकड, काँटों के बीच चलना मजबूरी होती है आम जनता का
Read Moreकठिन होता है चलना जहाँ रास्ता ठीक नहीं है, पत्थर-कंकड, काँटों के बीच चलना मजबूरी होती है आम जनता का
Read Moreदुनिया में कई समाज हैं लेकिन सच का समाज कहीं मिल नहीं पाया हमें मनुष्य के अंदर मनुष्य नहीं स्वार्थ
Read Moreखाना पहले उनको दो जो सड़कों में, गलियों में भीख माँगते नज़र आते हैं असहाय अवस्था को पारकर आगे बढ़ने
Read Moreहे मंद मति !, अंध परंपरा का हे मेरी मूढ़ बुद्धि ! मैं छात्र हूँ, जिज्ञासु हूँ, विचारों का अधिकारी
Read Moreकठिन होता है समझना इस दुनिया को, हर जीव को, कभी असली से ज्यादा नकली बेहद अपनी दर्जा दिखाती है
Read Moreक्या है मेरे अंदर छिपाने का बाल्य काल से ही मैं नंगा था पुस्तकों में मस्तक लगाके ढ़ूँढ़ता था- मैं
Read Moreचलते हैं लोग दुनिया में कभी तेज, कभी चुस्त कभी सीमाओं के अंदर, कभी सीमाओं को पारकर जो अंधेरे में
Read Moreफैलें दुनिया में निर्मल संघ सत्य की खोज़ें जारी रहें अंगुली मालों को बदलने की शक्ति हर बुद्ध के अधीन
Read Moreतलवार से अगर जीत मिलता तो सबके हाथों में तलवार होते हैं, मनुष्य नहीं, हर जगह हिंस जंतु रहेंगे। छीनना,
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