यात्रा के पन्ने
परम पिता ईश्वर सत्य मानकर उसके विश्वासों की दुनिया में आशाओं की गली – गली में आस्तिक था मैं ‘
Read Moreपरम पिता ईश्वर सत्य मानकर उसके विश्वासों की दुनिया में आशाओं की गली – गली में आस्तिक था मैं ‘
Read More// स्वतंत्रता // खिलने दो अपने आप इन नन्हें सुमनों को हाथ न जोड़ो ये मुरझा जाएँगे ये प्रकृति की
Read More// इंतजार में.. // संसार के ये घने बादल घुमड़ – घुमड़कर घेरे मुझे, गर्जन करते हैं बरसात की अविचल
Read More// यादें…// कैसे सोता हूँ मैं आँखभरी नींद में आराम से.. सुखभरे इस पलंग पर! वो यादें हैं अतीत की
Read More// बहुत बड़ी जिम्मेदारी है….// यह एक लोक है अक्षरों का, भावी पीढ़ी की रास्ता अब इन्हीं अक्षरों पर है,
Read More// यह क्यों…? // दलितों की उन्नति पर व्यंगय, परिहास क्यों ? आक्रोश, जलन है नित्य आरक्षण के खिलाफ ?
Read Moreबातें तो बहुत हैं, सीधी की हर जगह जोर की आवाज में मीठी – मीठी सुनाई दे रही हैं अपने
Read Moreसंस्कृति की आधारशिला पर विचार करने से स्पष्ट होता है कि जिस प्रकृति के द्वारा मानव को जीवन मिला एवं
Read Moreसौरभ के नहीं ये अक्षर, मैले जीवन का है । धूलि-धूसरित होते हैं, ये अभाग्यों का है ।। हंसी खुशी
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