विधा – गीत (सुगत सवैया)
रिमझिम सी पड़ी फुहारों का , श्रृंगार धरा कर इतराई। आया मौसम बरसातों का, घिर आयी आँगन बदराई।। खिला-खिला सा
Read Moreरिमझिम सी पड़ी फुहारों का , श्रृंगार धरा कर इतराई। आया मौसम बरसातों का, घिर आयी आँगन बदराई।। खिला-खिला सा
Read Moreगुरुवर तुम ही बने सहारा ,जब जीवन छाया अँधियारा । अंतर्मन में ज्ञान दीप से ,तुमने फैलाया उजियारा । शिक्षक
Read Moreहै नज़र जिस ओर जाती,नर बने दानव खड़े हैं । खून पीने को जिगर का, जान के पीछे पड़े हैं
Read Moreअरि की सुन ललकार युद्ध में,उठे हिलोर जहां हृद में । सज्य लुटाने प्राण उन्ही की,कलम आज जय गाती है
Read Moreआतप,ताप भरा भू,अम्बर, विकट रूप ग्रीष्म ऋतु आयी । रुद्र रूप दिनकर ने धारा,देह तपी धरणी अकुलायी । जेठ मास
Read Moreनव जीवन पाया माता से,अरु पितु से पहचान । नहीं किताबों से मिलता,जो सीखा उनसे ज्ञान ।। माँ दुलार की
Read Moreबोझ सीने में दबाकर,सब अकेले सह गए । कुछ कभी कहते किसी से ,खुद सिसकते रह गए । हाथ जीवन
Read Moreये जीवन इक रंग मंच है, अलग- अलग किरदार । कठपुतली के खेल में हुए ,हम सब हिस्सेदार । कोई
Read Moreफागुन की छायी बहार है ,सब मिल खेलो रंग । हर सू बिखरा रंग केसरी ,मनवा हुआ मलंग । होली
Read Moreअबके फागुन यूँ करो,मिले सभी का साथ । जला बैर की होलिका, गल डालो सब हाथ ।।१।। ढीठ छोरियां कर
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