गीत “प्रीत का व्याकरण”
घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनीकण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।—ताल
Read Moreघूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनीकण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।—ताल
Read Moreकहना है ये दरबारों सेपेट नहीं भरता नारों से—सूरज-चन्दा में उजास हैकाम नहीं चलता तारों से—आम आदमी ऊब गया हैआज
Read Moreरिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे।बारिश आई अपने द्वारे।।—तन-मन में थी भरी पिपासा,धरती का था आँचल प्यासा,झुलस रहे थे पौधे प्यारे।बारिश आई अपने
Read Moreजब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।—बैरी के हर ख्वाब को, कर
Read Moreजो शिव-शंकर को भाती हैबेल वही तो कहलाती है—तापमान जब बढ़ता जातापारा ऊपर चढ़ता जाता—अनल भास्कर जब बरसातालू से तन-मन
Read Moreकोमल, कोंपल, नवपल्लव,चंचलता से लहराते हैं।नाजुक हरे मुलायम कल्ले,ही किसलय कहलाते हैं।।—चलना कहलाता है जीवन,सरिताएँ ये कहती हैं,इसीलिए अनवरत चाल
Read Moreलाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी
Read Moreतन-मन की जो हरता पीरावो ही कहलाता है खीरा—चाहे इसका रस पी जाओचाहे नमक लगाकर खाओ—हर मौसम में ये गुणकारीदूर
Read Moreएक साल में आते आम।सबके मन को भाते आम।।—जब वर्षा से आँगन भरता,स्वाद बदलने को जी करता,तब पेड़ों पर आते
Read Moreदामोदर नरेन्द्र मोदी ने,सादा जीवन अपनाया।भारत भाग्य विधाता बनकर,पथ समाज को दिखलाया।।—छोड़ सभी आराम-ऐश को,संघं शरणम् में आया।मोह छोड़कर घर-गृहस्थ
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