Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

गीत/नवगीत

गीत “प्रीत का व्याकरण”

घूमते शब्द कानन में उन्मुक्त से,जान पाये नहीं प्रीत का व्याकरण।बस दिशाहीन सी चल रही लेखिनीकण्टकाकीर्ण पथ नापते हैं चरण।।—ताल

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बाल कविता

बालगीत “चौमासे ने अलख जगाई”

रिमझिम-रिमझिम पड़ीं फुहारे।बारिश आई अपने द्वारे।।—तन-मन में थी भरी पिपासा,धरती का था आँचल प्यासा,झुलस रहे थे पौधे प्यारे।बारिश आई अपने

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बाल कविता

बालकविता “पेड़ों पर पकती हैं बेल”

जो शिव-शंकर को भाती हैबेल वही तो कहलाती है—तापमान जब बढ़ता जातापारा ऊपर चढ़ता जाता—अनल भास्कर जब बरसातालू से तन-मन

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गीत/नवगीत

गीत “किसलय कहलाते हैं”

कोमल, कोंपल, नवपल्लव,चंचलता से लहराते हैं।नाजुक हरे मुलायम कल्ले,ही किसलय कहलाते हैं।।—चलना कहलाता है जीवन,सरिताएँ ये कहती हैं,इसीलिए अनवरत चाल

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बाल कविता

बालगीत “गुलमोहर पर छाई लाली”

लाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी

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बाल कविता

बालगीत “नरेन्द्र मोदी”

दामोदर नरेन्द्र मोदी ने,सादा जीवन अपनाया।भारत भाग्य विधाता बनकर,पथ समाज को दिखलाया।।—छोड़ सभी आराम-ऐश को,संघं शरणम् में आया।मोह छोड़कर घर-गृहस्थ

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