दोहे “सच्चाई का अंश”
जब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।—बैरी के हर ख्वाब को, कर
Read Moreजब भी लड़ने के लिए, लहरें हों तैयार।कस कर तब मैं थामता, हाथों में पतवार।।—बैरी के हर ख्वाब को, कर
Read Moreजो शिव-शंकर को भाती हैबेल वही तो कहलाती है—तापमान जब बढ़ता जातापारा ऊपर चढ़ता जाता—अनल भास्कर जब बरसातालू से तन-मन
Read Moreकोमल, कोंपल, नवपल्लव,चंचलता से लहराते हैं।नाजुक हरे मुलायम कल्ले,ही किसलय कहलाते हैं।।—चलना कहलाता है जीवन,सरिताएँ ये कहती हैं,इसीलिए अनवरत चाल
Read Moreलाल रंग के सुमन सुहाते।लोगों को हैं खूब लुभाते।।—रूप अनोखा, गन्ध नहीं है,कागज-कलम निबन्ध नहीं है,उपवन से सम्बन्ध नहीं है,गरमी
Read Moreतन-मन की जो हरता पीरावो ही कहलाता है खीरा—चाहे इसका रस पी जाओचाहे नमक लगाकर खाओ—हर मौसम में ये गुणकारीदूर
Read Moreएक साल में आते आम।सबके मन को भाते आम।।—जब वर्षा से आँगन भरता,स्वाद बदलने को जी करता,तब पेड़ों पर आते
Read Moreदामोदर नरेन्द्र मोदी ने,सादा जीवन अपनाया।भारत भाग्य विधाता बनकर,पथ समाज को दिखलाया।।—छोड़ सभी आराम-ऐश को,संघं शरणम् में आया।मोह छोड़कर घर-गृहस्थ
Read Moreचंचल-चंचल, मन के सच्चे।सबको अच्छे लगते बच्चे।।—कितने प्यारे रंग रंगीले।उपवन के हैं सुमन सजीले।।—भोलेपन से भरमाते हैं।ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।—भेद-भाव
Read Moreअपना धर्म निभाओगे कब जग को राह दिखाओगे कब करना है उपकार वतन पर संयम रखना अपने मन पर कभी
Read Moreदेख वायरस को मची, जग में हाहाकार। कोरोना से डर रहा, सारा ही संसार।। — जगह-जगह पर हो रही, कोरोना
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