“सबको अच्छे लगते बच्चे”
चंचल-चंचल, मन के सच्चे।सबको अच्छे लगते बच्चे।।—कितने प्यारे रंग रंगीले।उपवन के हैं सुमन सजीले।।—भोलेपन से भरमाते हैं।ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।—भेद-भाव
Read Moreचंचल-चंचल, मन के सच्चे।सबको अच्छे लगते बच्चे।।—कितने प्यारे रंग रंगीले।उपवन के हैं सुमन सजीले।।—भोलेपन से भरमाते हैं।ये खुलकर हँसते-गाते हैं।।—भेद-भाव
Read Moreअपना धर्म निभाओगे कब जग को राह दिखाओगे कब करना है उपकार वतन पर संयम रखना अपने मन पर कभी
Read Moreदेख वायरस को मची, जग में हाहाकार। कोरोना से डर रहा, सारा ही संसार।। — जगह-जगह पर हो रही, कोरोना
Read Moreमहक लुटाते कानन पावन नहीं रहे गोबर लिपे हुए घर-आँगन नहीं रहे — आज आदमी में मानवता सुप्त हुई गौशालाएँ
Read Moreमौसम कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते। सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते।। — दिवस बढ़े हैं शीत
Read Moreकितने हसीन फूल, खिले हैं पलाश में फिर भी भटक रहे हैं, चमन की तलाश में — पश्चिम की गर्म
Read Moreजीवन में अँधियारा, लेकिन सपनों में उजियाला है। आभासी दुनिया में होता, मन कितना मतवाला है।। — चहक-महक होती बसन्त
Read Moreफागुन में कुहरा छाया है। सूरज कितना घबराया है।। — अलसाये पक्षी लगते हैं। राह उजाले की तकते हैं।। —
Read Moreहो रहा विहान है, रश्मियाँ जवान हैं, पर्वतों की राह में, चढ़ाई है ढलान है।। — मतकरो कुतर्क कुछ, सत्य
Read Moreकुहरे और सूरज दोनों में,जमकर हुई लड़ाई। जीत गया कुहरा, सूरज ने मुँहकी खाई।। — ज्यों ही सूरज अपनी कुछ
Read More