“हम पंछी हैं रंग-बिरंगे”
गदराई पेड़ों की डाली हमें सुहाती हैं कानन में।। हम पंछी हैं रंग-बिरंगे, चहक रहे हैं वन-उपवन में।। पवन बसन्ती
Read Moreगदराई पेड़ों की डाली हमें सुहाती हैं कानन में।। हम पंछी हैं रंग-बिरंगे, चहक रहे हैं वन-उपवन में।। पवन बसन्ती
Read Moreफागुन की फागुनिया लेकर, आया मधुमास! पेड़ों पर कोपलियाँ लेकर, आया मधुमास!! धूल उड़ाती पछुआ चलती, जिउरा लेत हिलोर, देख
Read Moreमन में आशायें लेकर के, आया हैं मधुमास, चलो होली खेलेंगे। मूक-इशारों को लेकर के, आया है विश्वास, चलो होली
Read Moreतीखी-तीखी और चर्परी। हरी मिर्च थाली में पसरी।। तोते इसे प्यार से खाते। मिर्च देखकर खुश हो जाते।। सब्ज़ी का
Read Moreमौसम कितना हुआ सुहाना। रंग-बिरंगे सुमन सुहाते। सरसों ने पहना पीताम्बर, गेहूँ के बिरुए लहराते।। दिवस बढ़े हैं शीत घटा
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर। ठेले पर बिकते हैं बेर।। रहते हैं काँटों के संग। इनके हैं मनमोहक रंग।। जो
Read Moreपूरब से जो उगता है और पश्चिम में छिप जाता है। यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। रुकता
Read Moreयह है अपना चिंकू प्यारा। पूरे घर का राजदुलारा।। इसका रंग बहुत है काला। लेकिन है यह भोला-भाला।। बड़े चाव
Read Moreनया साल जबसे आया है। साथ बहुत सरदी लाया है।। शीतल छाया, शीतल काया। नभ में घना कुहासा छाया।। मैदानों
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