“चिंकू ने आनन्द मनाया”
नया साल जबसे आया है। साथ बहुत सरदी लाया है।। शीतल छाया, शीतल काया। नभ में घना कुहासा छाया।। मैदानों
Read Moreनया साल जबसे आया है। साथ बहुत सरदी लाया है।। शीतल छाया, शीतल काया। नभ में घना कुहासा छाया।। मैदानों
Read Moreवो अतीत-इतिहास बन गया, जो भी हुआ पुराना। नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना।। भूल गये हैं हम उनको,
Read Moreआ गई हैं सर्दियाँ मस्ताइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। पर्वतों पर नगमगी चादर बिछी. बर्फबारी देखने को जाइए। बैठकर
Read Moreमन का सुमन हमेशा गाये, अभिनव मंगल गान। अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।। उगें नये पौधे बगिया में,
Read Moreभाषण से बहलाने वालों, वचनों के कंगाल सुनो माल मुफ्त का खाने वालों, जंगल के शृंगाल सुनो बिना खाद-पानी के
Read Moreआज वो फिर से नहाने चल दिये पाप गंगा में बहाने चल दिये पाप की गठरी उठाकर शीश पर पुण्य
Read Moreकल केवल कुहरा आया था, अब बादल भी छाया है। हाय भयानक इस सर्दी ने, सबका हाड़ कँपाया है।। भीनी-भीनी
Read Moreछला प्यार में जिसने मुझको, मैंने उससे प्यार किया है। जीवन के इस दाँव-पेंच में, मैंने सब-कुछ हार दिया है।।
Read Moreआपाधापी की दुनिया में, ऐसे मीत-स्वजन देखे हैं। बुरे वक्त में करें किनारा, ऐसे कई सुमन देखे हैं।। धीर-वीर-गम्भीर मौन
Read Moreकुहासे की चादर मौसम ने ओढ़ ली, ठिठुरन से मित्रता, भास्कर ने जोड़ ली। निर्धनता खोज रही, आग के अलाव,
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