“ठेले पर बिकते हैं बेर”
लगा हुआ है इनका ढेर। ठेले पर बिकते हैं बेर।। रहते हैं काँटों के संग। इनके हैं मनमोहक रंग।। जो
Read Moreलगा हुआ है इनका ढेर। ठेले पर बिकते हैं बेर।। रहते हैं काँटों के संग। इनके हैं मनमोहक रंग।। जो
Read Moreपूरब से जो उगता है और पश्चिम में छिप जाता है। यह प्रकाश का पुंज हमारा सूरज कहलाता है।। रुकता
Read Moreयह है अपना चिंकू प्यारा। पूरे घर का राजदुलारा।। इसका रंग बहुत है काला। लेकिन है यह भोला-भाला।। बड़े चाव
Read Moreनया साल जबसे आया है। साथ बहुत सरदी लाया है।। शीतल छाया, शीतल काया। नभ में घना कुहासा छाया।। मैदानों
Read Moreवो अतीत-इतिहास बन गया, जो भी हुआ पुराना। नूतन के स्वागत-वन्दन में, डूबा नया जमाना।। भूल गये हैं हम उनको,
Read Moreआ गई हैं सर्दियाँ मस्ताइए। बैठकर के धूप में सुस्ताइए।। पर्वतों पर नगमगी चादर बिछी. बर्फबारी देखने को जाइए। बैठकर
Read Moreमन का सुमन हमेशा गाये, अभिनव मंगल गान। अपनी कुटिया बन जाएगी, फिर से विमल-वितान।। उगें नये पौधे बगिया में,
Read Moreभाषण से बहलाने वालों, वचनों के कंगाल सुनो माल मुफ्त का खाने वालों, जंगल के शृंगाल सुनो बिना खाद-पानी के
Read Moreआज वो फिर से नहाने चल दिये पाप गंगा में बहाने चल दिये पाप की गठरी उठाकर शीश पर पुण्य
Read Moreकल केवल कुहरा आया था, अब बादल भी छाया है। हाय भयानक इस सर्दी ने, सबका हाड़ कँपाया है।। भीनी-भीनी
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