“मैंने सब-कुछ हार दिया है”
छला प्यार में जिसने मुझको, मैंने उससे प्यार किया है। जीवन के इस दाँव-पेंच में, मैंने सब-कुछ हार दिया है।।
Read Moreछला प्यार में जिसने मुझको, मैंने उससे प्यार किया है। जीवन के इस दाँव-पेंच में, मैंने सब-कुछ हार दिया है।।
Read Moreआपाधापी की दुनिया में, ऐसे मीत-स्वजन देखे हैं। बुरे वक्त में करें किनारा, ऐसे कई सुमन देखे हैं।। धीर-वीर-गम्भीर मौन
Read Moreकुहासे की चादर मौसम ने ओढ़ ली, ठिठुरन से मित्रता, भास्कर ने जोड़ ली। निर्धनता खोज रही, आग के अलाव,
Read Moreकुहरा करता है मनमानी। जाड़े पर छा गयी जवानी।। नभ में धुआँ-धुआँ सा छाया, शीतलता ने असर दिखाया, काँप रही
Read Moreबैठ मजे से मेरी छत पर, दाना-दुनका खाती हो! उछल-कूद करती रहती हो, सबके मन को भाती हो!! तुमको पास
Read Moreदुनियाभर में बहुत हैं, ऐसे जहाँपनाह। उल्लू की होती जिन्हें, कदम-कदम पर चाह।। — उल्लू का होता जहाँ, शासन पर
Read Moreनशा है चढ़ा हुआ, खुमार ही खुमार है। तन-बदन में आज तो, बुखार ही बुखार है।। मुश्किलों में हैं सभी,
Read Moreकह देती हैं सहज ही, सुख-दुख-करुणा-प्यार। कुदरत ने हमको दिया, आँखों का उपहार।। — आँखें नश्वर देह का, बेशकीमती अंग।
Read Moreये गुरूनानक का दरबार। दर्शन कर लो बारम्बार।। लगा हुआ नानकमत्ता में, दीवाली का मेला, कृपाणों की दूकानें और फूलों
Read Moreभइया की लम्बी आयु का, माँग रहीं है यम से वर। मंगलतिलक लगाती बहना, भाईदूज के अवसर पर।। चन्द्रकला की
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