Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

गीत/नवगीतमुक्तक/दोहा

दोहागीत “खादी का परिधान”

आज विदेशी जाल में, जकड़ा हिन्दुस्तान।दूर गरीबों से हुआ, खादी का परिधान।।—चरखे-खादी ने दिया, आजादी का मन्त्र।बन्धक अर्वाचीन में, अपना

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मुक्तक/दोहा

दोहे “अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार”

रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।दुनिया में सबसे अहम, रोटी का भूगोल।।—जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।अगर न

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बाल कविता

बालगीत “नीड़ बनाया है”

कल केवल कुहरा आया था,अब बादल भी छाया है।हाय भयानक इस सर्दी ने,सबका हाड़ कँपाया है।। भीनी-भीनी पड़ी फुहारें,झीना-झीना उजियारा।आग

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