Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

मुक्तक/दोहा

दोहे “अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार”

रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।दुनिया में सबसे अहम, रोटी का भूगोल।।—जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।अगर न

Read More
बाल कविता

बालगीत “नीड़ बनाया है”

कल केवल कुहरा आया था,अब बादल भी छाया है।हाय भयानक इस सर्दी ने,सबका हाड़ कँपाया है।। भीनी-भीनी पड़ी फुहारें,झीना-झीना उजियारा।आग

Read More
भाषा-साहित्य

आलेख “दोहाछन्द को भी जानिए”

दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में

Read More