दोहे “अगर न होती रोटियाँ, मिट जाता संसार”
रोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।दुनिया में सबसे अहम, रोटी का भूगोल।।—जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।अगर न
Read Moreरोटी का अस्तित्व है, जीवन में अनमोल।दुनिया में सबसे अहम, रोटी का भूगोल।।—जीवन जीने के लिए, रोटी है आधार।अगर न
Read Moreअब गमों में पल रही है जिन्दगीअश्क पीकर चल रही है जिन्दगी—कैसे करें हालात को अपने बयाँसर्दियों में जल रही
Read Moreजंगलों में जब दरिन्दे आ गये।मेरे घर उड़कर परिन्दे आ गये।।—पूछते हैं वो दर-ओ-दीवार से,जिन्दगी महरूम क्यों है प्यार से?क्यों
Read Moreसन्नाटा पसरा है अब तो,गौरय्या के गाँव में।दम घुटता है आज चमन की,ठण्डी-ठण्डी छाँव में।।—नहीं रहा अब समय सलोना,बिखर गया
Read Moreसिर छिपाने के लिए, इक शामियाना चाहिएप्यार पलता हो जहाँ, वो आशियाना चाहिए राजशाही महल हो, या झोंपड़ी हो घास
Read Moreकल केवल कुहरा आया था,अब बादल भी छाया है।हाय भयानक इस सर्दी ने,सबका हाड़ कँपाया है।। भीनी-भीनी पड़ी फुहारें,झीना-झीना उजियारा।आग
Read Moreराह है काँटों भरी, मंजिल बहुत ही दूर हैदेख कुदरत का करिश्मा, आदमी मजबूर है—है हवाओं में जहर, आतंक का
Read Moreॉबनाये नीड़ हैं हमने, पहाड़ों के मचानों परउगाते फसल अपनी हम, पहाड़ों के ढलानों पर—मशीनों से नहीं हम हाथ से
Read Moreदोहे “जीवन के हैं मर्म” —मात-पिता को तुम कभी, मत देना सन्ताप।नित्य नियम से कीजिए, इनका वन्दन-जाप।।—आदिकाल से चल रही,
Read Moreदोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में
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