Author: *डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

भाषा-साहित्य

आलेख “दोहाछन्द को भी जानिए”

दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में

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गीत/नवगीत

गीत “गंगा में स्नान करो”

गीत “गंगा में स्नान करो” —गंगा में स्नान करो,कीचड़ में रहने वालो।अच्छे-अच्छे काम करो,ओ नवयुग के मतवालो।।—अपना भारत देशविश्व में

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मुक्तक/दोहा

दोहे “करलो अच्छे काम”

होने को अब जा रहा, जीवन का अवसान।कलुषित मन की कामना, बन्द करो श्रीमान।।—बढ़ती ज्यों-ज्यों है उमर, त्यों-त्यों बढ़ती प्यास।कामी

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गीत/नवगीत

गीत “तितली है फूलों से मिलती”

बौरायें हैं सारे तरुवर, पहन सुमन के हार।मोह रहा है सबके मन को बासन्ती शृंगार।।—गदराई है डाली-डाली,चारों ओर सजी हरियाली,कुहुक

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गीत/नवगीत

गाता है ऋतुराज तराने

वासन्ती मौसम आया है,प्रीत और मनुहार का।गाता है ऋतुराज तराने,बहती हुई बयार का।।—पंख हिलाती तितली आयी,भँवरे गुंजन करते हैं,खेतों में

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बाल कविता

बालकविता “आयी रेल”

धक्का-मुक्की रेलम-पेल।आयी रेल-आयी रेल।। इंजन चलता सबसे आगे।पीछे -पीछे डिब्बे भागे।। हार्न बजाता, धुआँ छोड़ता।पटरी पर यह तेज दौड़ता।। जब

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गीत/नवगीत

दोहागीत “फीके हैं त्यौहार”

बात-बात पर हो रही, आपस में तकरार।भाई-भाई में नहीं, पहले जैसा प्यार।।(१)बेकारी में भा रहा, सबको आज विदेश।खुदगर्ज़ी में खो

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