गीत/नवगीत

गीत “गंगा में स्नान करो”

गीत “गंगा में स्नान करो”

गंगा में स्नान करो,
कीचड़ में रहने वालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।

अपना भारत देश
विश्व में सबसे न्यारा है,
सबसे पहले यहाँ,
दिवाकर लाता उजियारा है,
जीवन मत बर्बाद करो,
ओ मानवता के रखवालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।

सत्य-अहिंसा का पथ हमको,
गुरुनानक ने बतलाया,
गुरू-शिष्य का परम्परा का,
मन्त्र अनोखा सिखलाया,
पाठ पुरातन याद करो,
गफलत में रहने वालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।

शूल हटाओ राह बनाओ,
श्रद्धा के अंकुर उपजाओ,
भारतमाता की जय बोलो,
देशभक्ति की अलख जगाओ,
नौका पार लगाने को तुम,
हाथों में पतवार सँभालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।

बेटों के जैसा ही,
बेटी से भी प्यार-दुलार करो,
नारी से ही नारायण हैं,
मन में ये भी ध्यान धरो,
समता का व्यवहार करो,
सच्चाई को भी अपनालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।

दया-धर्म और क्षमा-सरलता,
ही सच्चे गहने हैं,
दुर्गा-सरस्वती-लक्ष्मी ही,
जग की माता-बहने हैं।
घर अपना आबाद करो,
पूजन-वन्दन करने वालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।


(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

*डॉ. रूपचन्द शास्त्री 'मयंक'

एम.ए.(हिन्दी-संस्कृत)। सदस्य - अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग,उत्तराखंड सरकार, सन् 2005 से 2008 तक। सन् 1996 से 2004 तक लगातार उच्चारण पत्रिका का सम्पादन। 2011 में "सुख का सूरज", "धरा के रंग", "हँसता गाता बचपन" और "नन्हें सुमन" के नाम से मेरी चार पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। "सम्मान" पाने का तो सौभाग्य ही नहीं मिला। क्योंकि अब तक दूसरों को ही सम्मानित करने में संलग्न हूँ। सम्प्रति इस वर्ष मुझे हिन्दी साहित्य निकेतन परिकल्पना के द्वारा 2010 के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार के रूप में हिन्दी दिवस नई दिल्ली में उत्तराखण्ड के माननीय मुख्यमन्त्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया है▬ सम्प्रति-अप्रैल 2016 में मेरी दोहावली की दो पुस्तकें "खिली रूप की धूप" और "कदम-कदम पर घास" भी प्रकाशित हुई हैं। -- मेरे बारे में अधिक जानकारी इस लिंक पर भी उपलब्ध है- http://taau.taau.in/2009/06/blog-post_04.html प्रति वर्ष 4 फरवरी को मेरा जन्म-दिन आता है