रिश्ते
“मैं ये देख रही हूँ ..धीरे-धीरे बहुत से रिश्ते तुमसे छूट गये।”ज्योति के बात पर सत्या हँसपड़ी।“तुम कैसे साथ हो??
Read Moreकहमुकरी जीवन में वह रस को घोलेमिश्री जैसी बातें बोलेरूठे तो वह फेरे अँखियाँक्या सखि साजनना सखि सखियाँ ।। त्रिवेणी1-
Read Moreयादों की गठरी से उसने, पत्र पुराना पाया होगा । तीव्र हुई होगी उर सरगम ,याद बहुत कुछ आया होगा
Read Moreप्रेम प्रगाढ़ हुआ प्रिय तबसे , जबसे नैनों में सच देखा । देखा मैनें अपनी सूरत तेरे हाथों में निज
Read Moreचोरी नैनों से करे, लूटे मन का चैन। जब तब पलके मूंद कर, दिन को कर दे रैन ।। दिन
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