लघुकथा – विदा का वक्त
शाम गहरा रही थी। दोनों का एक दुसरे से विदा लेने का वक्त आ चुका था। राजीव अमेरिका जाने
Read Moreशाम गहरा रही थी। दोनों का एक दुसरे से विदा लेने का वक्त आ चुका था। राजीव अमेरिका जाने
Read Moreकैसे कहूं मुंह से कहा ना जाये कि तुम बिन सावन आग लगाये । भीगा मौसम, भिगाये मन मेरा ठंडी
Read Moreबचपन से ही उसे डांस का बहुत शौक था । अक्सर छुप छुप कर टीवी के सामने माधुरी के गाने
Read Moreतपती दुपहरी है, उसपे बेरहम तन्हाई है, दिल को बहलाने तुम्हारी याद चली आई है । तुम नहीं, लेकिन तुम्हारा
Read Moreकिताबें सबसे प्रिय मित्र ,संगी- साथी और मार्गदर्शक होते थे उन दिनों । बचपन में लोरी बन कर हमें हंसाते
Read More“प्रीति ! कहां हो यार , देखो क्या सरप्राइज लाया हूं तुम्हारे लिए .. खुशी से झूम उठोगी”। प्रतीक ने
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