गीत – तुम बिन सावन आग लगाये
कैसे कहूं मुंह से कहा ना जाये कि तुम बिन सावन आग लगाये । भीगा मौसम, भिगाये मन मेरा ठंडी
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Read Moreबचपन से ही उसे डांस का बहुत शौक था । अक्सर छुप छुप कर टीवी के सामने माधुरी के गाने
Read Moreतपती दुपहरी है, उसपे बेरहम तन्हाई है, दिल को बहलाने तुम्हारी याद चली आई है । तुम नहीं, लेकिन तुम्हारा
Read Moreकिताबें सबसे प्रिय मित्र ,संगी- साथी और मार्गदर्शक होते थे उन दिनों । बचपन में लोरी बन कर हमें हंसाते
Read More“प्रीति ! कहां हो यार , देखो क्या सरप्राइज लाया हूं तुम्हारे लिए .. खुशी से झूम उठोगी”। प्रतीक ने
Read Moreअनजान बेचैनियों में लिपटे, मेरे ये इन्तज़ार लम्हें तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं.. पर मेरा मन सहम जाता है ।
Read Moreएक्टिवा पार्क कर मै जल्दी जल्दी शापिंग कॉम्पलेक्स की सीढियाँ चढ़ रही थी.. क्योंकि बच्चों को स्कूल से लेने भी
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