कविता .. दलील
अनजान बेचैनियों में लिपटे, मेरे ये इन्तज़ार लम्हें तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं.. पर मेरा मन सहम जाता है ।
Read Moreअनजान बेचैनियों में लिपटे, मेरे ये इन्तज़ार लम्हें तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं.. पर मेरा मन सहम जाता है ।
Read Moreएक्टिवा पार्क कर मै जल्दी जल्दी शापिंग कॉम्पलेक्स की सीढियाँ चढ़ रही थी.. क्योंकि बच्चों को स्कूल से लेने भी
Read Moreतुम्हें दिल मे ही नहीं, रूह मे बसाया है तुम्हें ही याद रखा खुद को भी भुलाया है बड़ी ही
Read Moreबडे़ दिनो के बाद वो छत पर नजर आया था, दिल जोर से धड़का पर मैने मुंह घुमा लिया ।
Read Moreमेरे बेटे का एक ही सपना है क्रिकेटर बनना और अपने सपने के प्रति बडा लगन और इमानदारी से समर्पित
Read More