आत्म अवलोकन
एकांत की परछाई, अब साथ साथ नही चलती, थमी है दुबकी,कोने में,शांत, कोई छाया,प्रति छाया नही, मंदिर की घंटियों, शमशान में
Read Moreएकांत की परछाई, अब साथ साथ नही चलती, थमी है दुबकी,कोने में,शांत, कोई छाया,प्रति छाया नही, मंदिर की घंटियों, शमशान में
Read Moreआ जाओ मित्र अब गलबहियां डालने वाला कोई नहीं पुरानी यादें बहुत सताती रुलाती है, सब कुछ है हमारे पास,
Read Moreउसे इस बात का पूर्वानुमान था कि उसने जिस साहस ,हिम्मत और करेज के साथ उस आतंकवाद के खिलाफ अभियान
Read Moreहिंदुस्तान मजे मे है क्या हुआ यदि देश मे अस्थिरता है , है क्या हुआ यदि देश मे अराजकता है,
Read Moreहवा में जो हम दीपक जलाना सीख लेते हैं । ग़मों की भीड़ में मुस्कुराना सीख लेते हैं ।। उन्हें
Read Moreहर नज़र हर निगाह में नमी है, स्नेह की बेहद अपनों में कमी है। हर नजर किसी पर जमी है, कुछ
Read Moreअब चुप्पी ही बोले शायद, उनकी बीमारी से ज्यादा एहसास, उनके चुपचाप रहने का था , खरी खरी बातें सुनाने
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