Author: डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

कविता

समाधान निकलेगा

अनुत्तरित प्रश्न, अनसुलझी समस्याएँ, रिश्तों के रिसते घाव जीने का बिखर गया चाब। कदम-कदम बिछी बाधाएं, शारीरिक-मानसिक व्याधाएँ, विश्वास से

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सामाजिक

स्वार्थ की व्यापकता, आवश्यकता व अनिवार्यता

सामान्यतः स्वार्थ को बड़े ही संकीर्ण और नकारात्मक अर्थ में लिया जाता है। स्वार्थ के अन्य पर्यायवाचियों में, खुदगर्ज, मतलबी,

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्मशिक्षा एवं व्यवसायसामाजिक

शिक्षा, संस्कृति, संस्कार व संस्कृत विकास के आधार

विकास सर्वाधिक प्रचलित शब्दों में से एक है। हर व्यक्ति विकास की बात करता है। हर परिवार अपना विकास चाहता

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