होते नहीं, कभी पस्त हैं
चाह नहीं, चाहत नहीं। आह! नहीं, आहत नहीं। हाय और हैलो नहीं, अपना कोई फैलो नहीं। अपेक्षा नहीं, उपेक्षा नहीं।
Read Moreचाह नहीं, चाहत नहीं। आह! नहीं, आहत नहीं। हाय और हैलो नहीं, अपना कोई फैलो नहीं। अपेक्षा नहीं, उपेक्षा नहीं।
Read Moreलगता है अब चुक गया हूँ। संघर्ष से अब थक गया हूँ।। क्रोध अब आता नहीं है। गान कोई भाता
Read Moreप्रेम नहीं केवल है तुमसे, छाया तुम्हारी प्यारी है। साथ भले ही, नहीं रहो तुम, तुमसे हमारी यारी है।। वाद-विवाद
Read Moreखुद ही खुद के साथ रहेंगे नहीं किसी से प्रेम चाहिए, खुद ही खुद से प्रेम करेंगे। साथ में साथी
Read Moreसमाधान तुम खुद बन जाओ मानवता जब भटक रही हो, आगे बढ़ कर पथ दिखलाओ। कदम-कदम हैं, बिछी समस्या, समाधान
Read Moreअनुत्तरित प्रश्न, अनसुलझी समस्याएँ, रिश्तों के रिसते घाव जीने का बिखर गया चाब। कदम-कदम बिछी बाधाएं, शारीरिक-मानसिक व्याधाएँ, विश्वास से
Read Moreसामान्यतः स्वार्थ को बड़े ही संकीर्ण और नकारात्मक अर्थ में लिया जाता है। स्वार्थ के अन्य पर्यायवाचियों में, खुदगर्ज, मतलबी,
Read Moreविकास सर्वाधिक प्रचलित शब्दों में से एक है। हर व्यक्ति विकास की बात करता है। हर परिवार अपना विकास चाहता
Read Moreकरते नहीं, प्रेम का दावा, प्रेम प्रदर्शन नहीं होता है। प्रेमी वह जो करता अर्पण, प्रेम पात्र के हित जीता
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