दिखावे के व्यवहार ने
स्वारथ की इस दौड़ में, अपने को रहे भूल। दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।। जिह्वा हित भोजन
Read Moreस्वारथ की इस दौड़ में, अपने को रहे भूल। दिखावे के व्यवहार ने, हिलाईं समाज की चूल।। जिह्वा हित भोजन
Read Moreशिक्षा का सार्वकालिक महत्व है। किसी भी युग में शिक्षा के महत्व को नजरअन्दाज नहीं किया गया। शिक्षा के महत्व
Read Moreमुझको अपने साथ ही रहना, मुझको तुमसे कहना है। जो मुझसे संतुष्ट नहीं है, साथ मुझे नहीं रहना है।। सुविधाएँ
Read Moreखुद को सुखी बनाने के हित, सबका सुख है सृजित करना। नहीं करना है मुझे परमारथ, मुझको निपट स्वारथी बनना।।
Read Moreस्थिरता तो शब्द मात्र है, इसको ना तुम जाना भूल। परिवर्तन ही परिवर्तन है, परिवर्तन जीवन का मूल।। षड् ऋतु
Read Moreस्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ। उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ, हावड़ा
Read Moreवसंत कई दिनों के वियोग यात्रा की थकान हो गया था सर्द बेरोजगारी के दर्द को समेटे हुए घर वापस
Read Moreघर लौटा वसंत लगभग दस माह की अविरल यात्रा के बाद थकान, मलिनता और क्लांति के भावों को चेहरे पर
Read Moreसुबह-सुबह कैलेंडर पर नजर गई दिख गया वसंत! खिड़की खोलने की कोशिश की नहीं खुली, जाम के कारण। जाम की
Read Moreकल 26 जनवरी है। इस दिन को हम लोग गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। हर वर्ष मनाते हैं।
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