स्वागत में पति बैठे हैं
बेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreबेटी को हम बेटी समझें, भार मान क्यूँ बैठे हैं। कोरे हम आदर्श बखानें, व्यर्थ ही उससे ऐंठे हैं।। जिस
Read Moreजहाँ चाहो तुम, रहो वहाँ पर, साथ की, ना मजबूरी है। स्वस्थ रहो, और व्यस्त रहो, कुछ मस्ती भी तो
Read Moreसब कहते काली, काली है, वह, कानूनन घरवाली है। सुधा समझ जिसे, पीने चले थे, निकली विष की प्याली है।।
Read Moreतुमने जीना सिखलाया था, तुम बिन जीना सीख न पाए। कविता अब लिखते हैं केवल, तुम बिन हमने गान न
Read Moreकुछ पल का ठहराव ये पथ में, ठहरो, पर, ये, धाम नहीं है। जीवन सरिता बहती प्रतिपल, रूकने का कोई
Read Moreप्रेम नहीं है कोई सौदा, बदले में कोई आश नहीं है। प्रेम है सबसे अच्छी पूजा, और कोई अरदास नहीं
Read Moreतुमसे जीना सीखा हमने, तुम बिन जीवन मान न पाए।्र लिखना-पढ़ना ही आता था, तुमने जीवन गान सिखाए।। तुम बिन
Read Moreनहीं कोई है, संगी-साथी, नहीं किसी से यारी है। जहाँ जरूरत, वह खुबसूरत, जाने की तैयारी है।। जहाँ भेज दें,
Read Moreटारगेट जब तनाव देत हैं, कर्म न हम कर पाते हैं। योजना, कर्म, संतुष्टि के बिन, असमय ही मर जाते
Read Moreब्रह्माणी सृजन करती हो, जीवन की तुम ही बूटी हो। माँ, बहन, पत्नी, प्रेमिका, हर रूप में सदैव अनूठी हो।।
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