Author: डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

गीत/नवगीतपद्य साहित्य

भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे

गोल गोल गोलाइयाँ सुंदर, गहराइयों में समंदर हो। भले ही सुंदर वस्त्र तुम्हारे, तुम उनसे भी सुंदर हो।। फोटाे बहुत

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