सशक्तीकरण का, युग है भाई
सशक्तीकरण का, युग है भाई, नारी नर पर भारी है। नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।
Read Moreसशक्तीकरण का, युग है भाई, नारी नर पर भारी है। नर को, गुलाम बनाने की अब, उसकी पूरी तैयारी है।।
Read Moreसबका अपना-अपना चिंतन, अपना-अपना राग है। कोई शांति का बने पुजारी, कोई रक्त का फाग है।। अपनी-अपनी ढपली सबकी, अपना-अपना
Read Moreसाथ न कोई चल पाएगा, अकेले पथ पर बढ़ना होगा। जिंदादिली से जीना है तो, कांटों में भी खिलना होगा।।
Read Moreसब की खातिर, जीकर देखा, खुद की खातिर जीना होगा। जिनको अपना, समझ रहा था, उनसे ही विष पीना होगा।।
Read Moreसच की राह पर चलने का, संकल्प लेकर, चाहा था, एक साथी। चाहा, खोजा, मनाया, प्रेम किया, अपने आपको, लुटाया।
Read Moreइक-दूजे से शेयर करके, परिवार की गाड़ी चलती है। नर-नारी के एक होने से, सृष्टि जन्मती पलती है।। सहयोग समन्वय
Read Moreआज सीख वह देता है। आखिर वह मेरा बेटा है।। उसके जन्म से बाप बना। खुद को भूला, ताप बना।
Read Moreअसफलता संग व्यथा रही। मेरे जीवन की कथा रही।। पीड़ा से पीड़ित था बचपन। भय से भयभीत था, छुटपन। किशोर
Read Moreकर्म के पथिक, सच है साथी, और कोई दरकार नहीं है। अलग राह की राही हो तुम, जाओ हमें सरोकार
Read Moreसाथ के सपने अपने भी थे, साकार कभी भी हो न सके। पीड़ाओं में, हँसना पड़ता, साथ किसी के, रो
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