पीड़ाओं में, हँसना पड़ता
साथ के सपने अपने भी थे, साकार कभी भी हो न सके। पीड़ाओं में, हँसना पड़ता, साथ किसी के, रो
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Read Moreएक समय था, जब मैं चाहता था, एकान्त। तब कुछ पढ़ने की, कुछ बनने की, किसी को पढ़ाकर, कुछ बनाने
Read Moreकर्म, कर्म, कर्म! कर्म जीवन का मर्म। सक्रियता ही, जीवन की निशानी है। इच्छाएँ, कामनाएँ, बाधाएँ, पीड़ाएँ, आस्थाएँ और भावनाएँ,
Read Moreईर्ष्या, द्वेष, नफरत है दिल में, किंतु, प्रेम के गाने गाते। सबके विकास की बातें करते, आत्म विकास नहीं कर
Read Moreप्रकृति सृष्टि का गूढ़ तत्व है, समझ न कोई पाया है। नर क्या समझे, नारायण को, नारी ने भरमाया है।।
Read Moreपुष्प की चाह, सभी को होती, कुछ ही पल को वह खिलता है। संग-साथ की इच्छा सबकी, किन्तु साथ कुछ
Read Moreप्रकृति के ही घटक हैं हम भी, प्रकृति न हमसे न्यारी है। महासागर, पर्वतमालाएँ, प्रकृति ही, नर और नारी है।।
Read Moreअकेलेपन से जूझ रहे सब, साधक एकान्त का रस लेता है। समय का साधक, कर्म करे बस, नहीं माँगता बस
Read Moreसमस्याओं से, तुम कभी न भागो, सोचो, समझो और गले लगाओ। किसी से, किसी की, करो न शिकायत, समाधान बनकर
Read Moreजब भी आपको साथ चाहिए, अपने साथी खुद बन जाओ। अपने आपको मित्र बनाओ, साथी न खोजो, साथ निभाओ।। खुद
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