गीत/नवगीत

पीड़ाओं में, हँसना पड़ता

साथ के सपने अपने भी थे, साकार कभी भी हो न सके।
पीड़ाओं में, हँसना पड़ता,  साथ किसी के,  रो न  सके।।

किसी का बुरा, कभी न चाहा।
किसी के दुख में, कहा न आहा।
अनजानों को गले लगाकर,
सबको नेह से, था अवगाहा।
हमने सबको, अपना समझा, पराया किसी को कह न सके।
पीड़ाओं में, हँसना पड़ता,  साथ किसी के,  रो न  सके।।

धोखे से साथ में हमें फंसाया।
छल-कपट का जाल विछाया।
प्रहार आत्मा पर करने को,
विश्वासघात का अस्त्र चलाया।
षड्यंत्रों से हमको घेरा, सच के सपने,  खो  न सके।
पीड़ाओं में, हँसना पड़ता, साथ किसी के, रो न  सके।।

हमने सब कुछ, सौंपा जिसको।
उसने  मूरख, समझा  हमको।
हमने सब कुछ खोल दिया था,
उसने सब कुछ छिपाया खुदको।
प्रेम बिना, है खेती सूखी, विश्वास के बीज, बो न सके।
पीड़ाओं में, हँसना पड़ता, साथ किसी के,  रो न  सके।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)