मन-मयूर, मन करेगा नर्तन
नर-नारी संबन्ध निराला। पत्नी, बेटी हो या खाला। इक-दूजे को देखे बिन, गले से उतरे नहीं निवाला। नारी को कहते
Read Moreनर-नारी संबन्ध निराला। पत्नी, बेटी हो या खाला। इक-दूजे को देखे बिन, गले से उतरे नहीं निवाला। नारी को कहते
Read Moreनारी उर में, दीप सजाती, नर बिखराता ज्योती है। प्रकृति-पुरुष के सम्मिलन से, सृष्टि की रचना होती है।। भिन्न प्रकृति
Read Moreबहुत है झेला, बहुत है भोगा, शेष रही कोई, चाह नहीं है। कुछ भी कहो, कुछ भी करो, किसी की
Read Moreहर प्राणी, चैन की नींद सोता है। घर तो आखिर, घर होता है।। कण-कण में, प्रेम है रमता। दादी दुलार
Read Moreहम अपनी ही राह चलेंगे। सुविधाओं को ना मचलेंगे। उठकर आगे, बढ़ेंगे फिर से, गलती से, यदि हम फिसलेंगे। धोखे
Read Moreनर नारी का, मित्र स्वाभाविक, नर की कामना, नारी है। इक-दूजे के लिए बने हैं, फिर, रण की क्यों तैयारी
Read Moreनहीं चाहिए, दुआ किसी की, नहीं देवी का मान है। जन्मने दो, शिक्षित होने दो, नारी के अरमान हैं।। सहायता
Read Moreएक नारी ने, जन्म दिया था, दूजी ने, मौत की राह दिखाई। विश्वासघातिनी ने सब छीना, पर, नारी से विश्वास
Read Moreहम आजीवन, रहे अकेले, अब क्या साथ निभाओगी? हम सच के गाने गाते हैं, तुम कपट गान ही गाओगी।। जीवन
Read Moreनारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है। लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
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