नारी नहीं अब घर तक सीमित
नारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है। लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
Read Moreनारी नहीं अब घर तक सीमित, चहुँ ओर अब छायी है। लोरी गाते-गाते माँ ने, अब, तकनीक भी, अपनायी है।।
Read Moreतुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं। वर्तमान और भविष्य को छोड़ा, हम भूत का
Read Moreसाथ भले ही नहीं आज हो, अहसास किंतु अब भी बाकी है। इक-दूजे के साथ के वे पल, यादों में
Read Moreचाह नहीं तुमसे कुछ पाऊँ। चाह रही, तुमको सुन पाऊँ।। नासमझी में ठुकराया था। अहम अधिक ही गदराया था। अपनी
Read Moreजितने भी सम्मान हैं, जग में, सबसे ऊपर माता है। शहीद होता सीमा पर सैनिक, माँ! का सपूत कहलाता है।
Read Moreनारी नर की चिर आकर्षण, नारी प्रेम की डोरी है। नारी सृष्टि का केन्द्र बिन्दु है, काली हो या गोरी
Read Moreकाश! लौट आते वे दिन। तुम चाहती थीं, मुझे कितना? हर पल-क्षण संग साथ रहने की, व्याकुलता थी, तुम्हारे रोम-रोम
Read Moreतेरे बिन, यह जग है अधूरा, तेरे बिन, मैं नहीं हूँ पूरा। तेरे बिन, ये जीवन नीरस, तू ही तो
Read Moreसाथ भले ही ना रह पाये। किन्तु साथ के गाने गाये। माया तजकर सन्त कहें जो, महफिल में, नारी ही
Read Moreधन संपदा बहुत कमाई। सोचो लाॅरी कब थी गाई? प्रेम भाव है, कहाँ खो गया? हावी, पेशेवर चतुराई। स्पद्र्धा के
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