गीत/नवगीतपद्य साहित्य

तुम अपनी दुनिया में खुश हो

तुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं।
वर्तमान और भविष्य को छोड़ा, हम भूत का रस ही पीते हैं।।

निराशा से हम भरे हुए थे।
जीवन से ही ठगे हुए थे।
तुमसे ही थी, मिली प्रेरणा,
जिसके सहारे रूके हुए थे।
तुम ही अब भी शक्ति हमारी, तुम बिन बिल्कुल रीते हैं।
तुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं।।

नहीं कह सके, तुम से दिल की।
बनीं हुईं थी, और की फिरकी।
समय की ठोकर दूर गिरे हम,
तुमने कर ली अपने मन की।
भटक रहे थे, कण्टक पथ पर, तुम्हारे पथ थे, सुभीते हैं।
तुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं।।

थक हुए थे, जीते-जीते।
दुनिया में बिष पीते-पीते।
तुम प्रेरणा बनकर आईं थीं,
याद आएं क्षण, जो थे बीते।
हम तो जग में, प्रेम पथिक हैं, नहीं बने कभी चीते हैं।
तुम अपनी दुनिया में खुश हो, हम तुम्हारी यादों में जीते हैं।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)