गीत/नवगीतपद्य साहित्य

तेरे बिन,  ये जीवन नीरस

तेरे बिन, यह जग है अधूरा, तेरे बिन, मैं नहीं हूँ पूरा।
तेरे बिन,  ये जीवन नीरस,  तू ही तो है मेरी नूरा।।

जीवन में कुछ रास न आये।
जब तक तू मेरे पास न आये।
साथ में होती, नूरा-कुश्ती,
दूरी मुझको, बहुत सताये।
आकर के तू खुद ही देख ले, तेरे बिन हुआ जीवन चूरा।
तेरे बिन,  ये जीवन नीरस,  तू ही तो है मेरी नूरा।।

वक्ष स्थल बिन, नींद न आये।
अधर पान बिन, रहा न जाये।
तेरे स्पर्श का, जादू ही है,
सुबह-शाम, मुझको तड़पाये।
नारी बिन, नर दुर्बल कितना, नारी बनाये, नर को सूरा।
तेरे बिन,  ये जीवन नीरस,  तू ही तो है मेरी नूरा।।

अधरों की वो तेरी लाली।
प्रेम भरी आँखों की प्याली।
उष्ण उरोजों की ऊष्मा बिन,
कैसे जीऊँ? हालत  माली।
अकेले-अकेले मन है सीझता, आकर इसको कर दे पूरा।
तेरे बिन,  ये जीवन नीरस,  तू ही तो है मेरी नूरा।।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)