शीर्षक :- कुंडलिया छंद
रचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक। स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।। भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
Read Moreरचना रब की श्रेष्ठ है,मनुज धरा पर एक। स्वार्थ लिए नीचा हुआ,भूल परमार्थ नेक।। भूल परमार्थ नेक,दंभ में जीवन जीता।
Read Moreभर्ती निकली तो इंतिहान नहीं परीक्षा हो तो परिणाम नहीं परीक्षा हो तो जॉइनिंग नहीं आखिर क्यों युवाओं का सम्मान
Read Moreज्ञान अगर बचपन से होगा , पोधों के संरक्षण का, कमी न होगी वृक्षों की यदि हो, शौक वृक्षा रोपण
Read Moreचला रहे अति लाड़ से , बेटी प्रिय संतान। नन्हीं कलिका में छिपा ,उज्ज्वल भविष्य मान ।।१।। बोल तोतले बोलती
Read Moreएक बच्चा अपने पिता से पूछता हैः पापा आखिर महान शब्द का मतलब क्या होता है मैने बहुत जगह पढा
Read Moreजिन्दगी खोने बैठी रेलवे पटरी पर, उमंग जगी जब नजर पड़ी बेटी पर। अंधेरे में उम्मीद की लौ जगाई, ना
Read Moreभर्ती निकली तो इंतिहान नहीं परीक्षा हो तो परिणाम नहीं परीक्षा हो तो जॉइनिंग नहीं आखिर क्यों युवाओं का सम्मान
Read Moreसपनों में छलांग की लालच दिखाई जाती है तुम लड़की नहीं लड़का हो, बात बताई जाती है बिना कमाई की
Read Moreएक जलजला जल का, चल पड़ा उदगम से हिमाच्छित पर्वतों से, निकल पड़ा मैदानों को, समेट सारा अपनी लय में,
Read Moreजिंदगी में कभी -कभी ऐसा दौर भी आता है दिल का चैन,सुकून ,करार कोई और चुरा ले जाता है !!
Read More