कविता
तुम्हें जाना था सो तुम चले गये चाहा तो बस इतना ही था तुम रहो साथ हर दिन फिर जी
Read Moreकामकाज़ी महिला के घर आता है हर दिन भूचाल पाँच बज गए हर ऱोज सुबह लहसुन कूटने की आवाज़ से
Read Moreमैं हूँ पीड़ा उस स्त्री की जो लहुलुहान हो पड़ी सहती है दर्द गर्भ में मार देने वाले अजन्में बच्चे
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