शब्द
मैं शब्दों के साथ
रहना चाहती हूँ
और शब्द मेरे
पहनती हूँ
गहना भी शब्दों का
वे ही तो
पूरी करते हैं किताब
मेरे सपनों की
शब्दों के साथ हंसती
ख़ुद को खोजती
शब्दों के घर बनाती
जैसे मैं और शब्द
एक दूसरे का ही
है प्रतिबिम्ब
शब्द ही सबसे
वफादार साथी
जिसकी लहर में
अब उकेरुंगी जीवन के
अनेक छंद
— सरिता दास
वाह वाह !