गिर कर सम्हलने की आदत है मुझको..
गिर कर सम्हलने की आदत है मुझको। ख़िजा में भी पलने की आदत है मुझको॥ मुझे रोशनी कब मिली इस
Read Moreगिर कर सम्हलने की आदत है मुझको। ख़िजा में भी पलने की आदत है मुझको॥ मुझे रोशनी कब मिली इस
Read Moreदेखकर बहता लहु ये चोटियां हैरान है। नोच डाली किसने ज़न्नत कौन वो शैतान है॥ इन फ़िज़ाओं में घुला है,
Read Moreदिल में हसरतें तमाम बाकी हैं। कई हासिल हुए कई मुकाम बाकी हैं॥ अभी तो भूमिका हुई है केवल। ज़िन्दगी
Read Moreहंसकर तमाम ज़िन्दगी के दर्द सह गये। दिल के सभी अरमां दबे दिल में ही रह गये॥ हमने कभी आंखों
Read Moreनव भौर में नव गीत लिख कुछ प्रेम लिख कुछ प्रीत लिख। मत हार इसको तम की लिख पर रोशनी
Read Moreतुम बिन ये जीवन क्या जीवन, बिखरा सा घर सूना आंगन। हर पल तन्हाई का आलम, उतरा चेहरा डूबा सा
Read Moreकुछ प्रेम लिख कुछ प्रीत लिख अनुराग की नव रीत लिख। इन धडकनों के स्वर के संग मनमीत मन का
Read Moreये जीवन लघु सरिता सा कभी छलका सा कभी रीता सा। कभी उदगारों के भाव विह्ल कभी सत्य सार्थक गीता
Read Moreकौन किसी की पीर सुने, सब पत्थर के इंसान यहां। रिश्ते नातें दौलत इनकी, दौलत ही भगवान यहां॥ भाव भावना
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