ग़ज़ल
जिसके मन में करुणा अंतस में ईमान नहीं इंसां का है जिस्म भले ही पर इंसान नहीं उसको हो सकता
Read Moreआग चूल्हों से निकलकर लग रही बाज़ार में क्या गज़ब है ये ख़बर है ही नही अख़बार में बेईमानी की
Read Moreवैसे तो आए आमंत्रण को ठुकराना ठीक नही किन्तु जहाँ सम्मान नही हो उस दर जाना ठीक नही माना अभिवादन
Read Moreसच का रस्ता छोड़ोगे तो क्या होगा मालूम भी है अपने पथ से भटकोगे तो क्या होगा मालूम भी है
Read Moreउनके जैसे ही कस्में खाकर रख दो तुम भी सब इल्ज़ाम हमारे सर रख दो हँस कर हाथ मिलाओ मेरे
Read Moreजिसको बेहद सच्चा समझा उसमे बेहद छल निकला लोगों के चहरे पढ़ने में में कितना असफल निकला दौरे ग़र्दिश में
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