ग़ज़ल
ख़ुदग़र्जी रिश्तों की मतलब की निकली कैसी समझी थी दुनिया कैसी निकली धोखेबाजी निकली सबकी फ़ितरत में प्यार मुहब्बत की
Read Moreएक तरफ, खाई हर एक कसम रख दे फिर मेरे कदमों के साथ कदम रख दे काँधे पर जुल्फ़ों के
Read Moreये जो नाहक ग़रूर होता है एक दिन चूर चूर होता है हर दुआ और बद्दुआ का असर याद रखिये
Read Moreसोच का दायरा बड़ा रखिये आदमीयत से राब्ता रखिये दिल में सबके लिये वफ़ा लब पर हर किसी के लिये
Read Moreदुआओं में तुम्हारी चाह जो शामिल नही होती हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी हासिल नही होती अगर चलते नही तुम हर
Read Moreकिसने लूटा कौन लुटा है पूछो मत तुमको सारी बात पता है पूछो मत ग़म से तारी आँखें कहती हैं
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