ग़ज़ल
कट्टरता की आग लगाकर तड़का मजहब वाला ड़ाल खाली दाल नही गलने की और ज़रा सा काला डाल जंग सियासत
Read Moreएक तरफ, खाई हर एक कसम रख दे फिर मेरे कदमों के साथ कदम रख दे काँधे पर जुल्फ़ों के
Read Moreये जो नाहक ग़रूर होता है एक दिन चूर चूर होता है हर दुआ और बद्दुआ का असर याद रखिये
Read Moreसोच का दायरा बड़ा रखिये आदमीयत से राब्ता रखिये दिल में सबके लिये वफ़ा लब पर हर किसी के लिये
Read Moreदुआओं में तुम्हारी चाह जो शामिल नही होती हमारी ज़िन्दगी को ज़िन्दगी हासिल नही होती अगर चलते नही तुम हर
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