कुण्डली/छंद

कुण्डली

देखो अपने आपको, समझो नही विशेष
जिस दिन टूटेगा भरम, कुछ न बचेगा शेष
कुछ न बचेगा शेष, लुटा ख़ुद को पाओगे
नोचोगे निज बाल, हाथ मल पछताओगे
कह बंसल कविराय, झूठ का पर्दा फैंको
सपने छोड़ो और, सत्य का दर्पण देखो।।

अन्तर्मन की बात का, जो करते प्रतिकार
वे जीवन में अंततः, पछताते हैं यार
पछताते हैं यार, बड़ा नुकसान उठाते
और लोग कर तंज, घाव पर नमक लगाते
कह बंसल कविराय, तभी कहते प्रबुद्ध जन
मानो हर दम बात, कहे जब जो अन्तर्मन।।

वाणी से सत्कार है, वाणी से दुत्कार।
यही कराती शत्रुता, यही कराती प्यार
यही कराती प्यार, उतरती जब अंतस में
और थोपती युद्ध, हुई जब मद के वश में
कह बंसल कविराय, भोगता वैसा प्राणी
जिसने करी प्रयोग, समय पर जैसी वाणी।।

— सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.