युद्ध से युद्धविराम तक
रक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले,
Read Moreरक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले,
Read Moreधरती पर जिनके पग पड़े, आकाश में जो उड़ते हैं,वीर सपूत वे हमारे, जीवन से बढ़कर करते हैं।हर दर्द को
Read Moreसिर्फ सिंदूर से क्या होगा,आग अभी सीने में बाकी है।खून में जो लावा बहता है,उसमें हल्दी की तासीर बाकी है।
Read Moreहमारे सैनिक, जो सीमाओं पर अपने प्राणों की बाजी लगाते हैं, हमारे असली नायक हैं। युद्ध की आशंका में लौटते
Read Moreयुद्ध की आहट से लौटते कदम,वो वीर, जो सीमाओं का श्रृंगार हैं,छुट्टियों से अपने कर्तव्य की ओर,बिना आरक्षण, बिना थके,
Read Moreभोला किसान, हल चलाता,मिट्टी से सोना उपजाता।फिर एक दिन आया बैंकर,सूट-बूट में, मुस्काता। बोला – “हम देंगे केसीसी कार्ड,ताकि सपनों
Read Moreनिजी बैंक किसानों को केसीसी योजना के तहत ऋण देते समय बीमा और पॉलिसियों के नाम पर चुपचाप उनके खातों
Read Moreआज की पत्रकारिता एक गहरे संकट से गुजर रही है, जहाँ कलमकार हाशिए पर हैं और PR मैनेजमेंट का बोलबाला
Read Moreकभी जो कलम थी आग सी,अब फ़िल्टरों में खो गई।जो चीखती थी अन्याय पर,वो चुपचाप अब सो गई। न सवाल
Read Moreभारत आज दो नहीं, तीन मोर्चों पर जूझ रहा है—बाहरी आतंक, सीमापार दुश्मन और भीतर छिपा ‘आधा मोर्चा’। पहलगाम आतंकी
Read More