Author: डॉ. सत्यवान सौरभ

कविता

युद्ध से युद्धविराम तक

रक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले,

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राजनीति

केसीसी के नाम पर चालबाज़ी : निजी बैंकों की शिकारी पूँजी और किसानों की लूट

निजी बैंक किसानों को केसीसी योजना के तहत ऋण देते समय बीमा और पॉलिसियों के नाम पर चुपचाप उनके खातों

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शिक्षा एवं व्यवसाय

मैनेजमेंट के मखमली पर्दे के पीछे दम तोड़ती पत्रकारिता

आज की पत्रकारिता एक गहरे संकट से गुजर रही है, जहाँ कलमकार हाशिए पर हैं और PR मैनेजमेंट का बोलबाला

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राजनीति

तीसरा युद्धक्षेत्र : जब देश का दुश्मन भीतर होता है

भारत आज दो नहीं, तीन मोर्चों पर जूझ रहा है—बाहरी आतंक, सीमापार दुश्मन और भीतर छिपा ‘आधा मोर्चा’। पहलगाम आतंकी

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