Author: डॉ. सत्यवान सौरभ

इतिहास

सत्ता, शहादत और सवाल: जलियांवाला बाग की आज की प्रासंगिकता

जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच

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राजनीति

प्राइवेट सिस्टम का खेल : आम आदमी की जेब पर हमला

भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी अधिकार आज निजी संस्थानों के लिए मुनाफे का जरिया बन चुके हैं।  प्राइवेट

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धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

आज के दौर में भगवान महावीर के विचारों की प्रासंगिकता

आज के भौतिकवादी और असहिष्णु समय में भगवान महावीर के विचार पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हैं। उन्होंने अहिंसा, सत्य,

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सामाजिक

मीडिया, स्त्री और सनसनी: क्या हम न्याय कर पा रहे हैं?

मीडिया में स्त्रियों की छवि और उससे जुड़ी सनसनीखेज रिपोर्टिंग ने आज गंभीर सवाल पैदा कर दिये है। कुछ घटनाओं

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कविता

हम दोनों की कहानी – वक्त से भी खूबसूरत निकली

कुछ पुरानी तस्वीरें फिर से मुस्कुराईं,वो पहली मुस्कान, वो हल्की सी शरमाहट,जैसे वक्त की किताब फिर से पलट गई। साल

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