Author: डॉ. सत्यवान सौरभ

पर्यावरण

किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे : हैदराबाद के जंगलों की चीख

खजागुड़ा जैसे जंगलों को शहरीकरण के नाम पर नष्ट किया जा रहा है, जिससे न केवल पेड़, बल्कि वन्यजीव और

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अन्य लेख

‘बिन तेरे बेचैन’ – हरियाणवी सिनेमा में प्रेम, जुनून और मानसिक उथल-पुथल की अनोखी कहानी*

यह फिल्म हरियाणवी सिनेमा के बदलते परिदृश्य को दर्शाती है, जो पारंपरिक कहानियों से आगे बढ़कर नए विषयों को अपनाने

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भाषा-साहित्य

लेखक की स्वतंत्रता बनाम संपादकीय नीति: बहस के नए आयाम

संपादक आमतौर पर अनूठी और मौलिक रचनाएँ चाहते हैं ताकि उनकी पत्रिका की विशिष्टता बनी रहे। दूसरी ओर, लेखकों को

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पर्यावरण

जल संकट का समाधान: परंपरागत ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम

जल संरक्षण एक सामूहिक जिम्मेदारी है। पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीकों को मिलाकर जल संकट से बचा जा सकता है।

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